"वर दे, वाङ्म़यी वर दे!"
छंद गति नव तालमयी
स्वर चढ़ता रूप कलेवर दे !
मिट जाएॅ संताप सभी के
उर्मिल मानसरोवर दे !
जीवन पर लोटे नव जीवन
जीवन के पद घूॅघर दे !
पर्व मनाऍ जीवन का सब
जीवन बोध निरंतर दे !
दीप जलें नव मानवता के
गीत नवल , नव निर्झर दे !
प्राण धरा पर थिरकें फिर से
मधुमय राग मनोहर दे !
अंध घना है जन - जीवन में
ऊषा का वरदान अमर दे !
ज्योति कलश छलके प्राची से
सत्य - रूप - शिव सुन्दर दे !
वर दे , वाङ्म़यी वर दे !
वर दे , वाङ्म़यी वर दे !!
kapil sharma
15-Apr-2021 07:26 PM
🙏🙏🙏
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Virendra Pratap Singh
16-Apr-2021 09:20 AM
Thanks for likening, Kapil Bhai. Be happy.
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Apeksha Mittal
15-Apr-2021 07:20 PM
बहतरीन कविता , बहतरीन लाइन ,सर 🙏🙏
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Virendra Pratap Singh
16-Apr-2021 09:25 AM
Thanks for pleasing Apeksha. Be happy. Have a good day.
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